कोविड महामारी का वैश्विक असर इतना व्यापक था कि आज के दौर में हम घटनाओं को कोविड पूर्व और कोविड बाद की घटनाओं के तौर पर व्याख्या करते हैं।
जब हम इस नई विश्व व्यवस्था में फिर से गतिशील हो रहे हैं, तो ऐसे में अनुकूल और टिकाऊ आदतों का निर्माण करना पहले से ज़्यादा ज़रूरी है।
जहाँ द आर्ट ऑफ रेज़िलियंस ने पाठकों के सामने इन बातों को सामने रखा कि कोविड जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामने कैसे करें, वही द आर्ट ऑफ फोकस ने कोविड लहरों के दौरान उन प्रतिरोधी हृदयों को सिखाया कि वे कैसे एक केंद्रित मस्तिष्क का विकास करें। अब द आर्ट ऑफ हैबिट्सउन केंद्रित पाठकों को वो विचार दे रही है कि अनुकूल और टिकाऊ आदतें कैसे विकसित करें।